रंगीन छाता

सेमेस्टर के इंटरनल Exam की वजह से उस दिन कॉलेज से निकलते-निकलते शाम हो गई। बाहर बारिश की वजह से सड़कें खाली-खाली नज़र आ रही थी। किसी तरह बचते-बचाते बस स्टैंड तक पहुँच पाया था। पुरे आधे घंटे स्टैंड पर खड़े रहने के बाद बस आई भी तो खचा-खच भरी हुई। दिल्ली के बसों की खास बात ये है कि उनमें यात्रा करते हुए आपको मुफ्त का बॉडी मसाज मिलता रहेगा।

इतना ही नहीं अगर किसी दिन आप ज्यादा भाग्यशाली हुए और जेबकतरों की दया-दृष्टि आप पर हुई तो आपको अपने मोबाइल या पर्स का भार नहीं उठाना पड़ेगा। खैर इतनी सारी खूबियों से परिपूर्ण DTC के बस में किसी तरह खड़े होने की जगह मिल गई।

नवंबर का महीना भले ही ख़त्म होने वाला था। लेकिन दिल्ली में तो अभी सर्दी की शुरुआत ही हुई थी। जिसमें इस बे-मौसम बरसात ने दिल्ली के मिजाज को बेअदब कर दिया था। खिड़की के बाहर इंद्रदेव अब भी बूंदों के तीर चला रहे थे । मेरी बस पहाड़गंज ब्रिज से कमला मार्केट की तरफ धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। तभी अचानक इंद्रदेव का तीर बस के इंजन में घुसा और जख्मी बस के इंजन से धुँआ निकलने लगा। बस ब्रेकडाउन होकर वहीं रुक गई।

ड्राइवर ने एक-दो बार गाड़ी को स्टार्ट करने की नाकाम कोशिश की और बाद में थककर अपनी सीट पर बैठे-बैठे तेज़ आवाज में बोला...आपलोग उतरकर अगले स्टैंड पर चले जाइये। ये बस अब आगे नहीं जा सकती। इतना बोलते ही उसने बस का दरवाज़ा खोल दिया।

थोड़ी देर में बस लगभग खाली हो गई। लेकिन मुझे मिलाकर 10 से 12 लोग अभी भी बस में ही बैठें थे। ये सब वही लोग थे जिन्हें घर पहुँचने की जल्दी तो थी, लेकिन बाहर हो रही बे-मौसम बारिश ने उनके कदमों को रोक लिया।

मैं बारिश से बचकर अगले स्टैंड तक पहुँचने की उधेड़बुन में फंसा ही था कि आगे वाली सीट पर बैठी लड़की ने छाता खोलते हुए मेरे तरफ इशारा करते हुए कहा...अगर आप चाहो तो मेरे छाते में अगले स्टैंड तक चल सकते हैं।

इतना सुनते ही मैनें अपने पीछे देखा, इस बात की पुष्टि के लिए की क्या सच में वो छाते की कंपनी के लिए मुझे ही बोल रही है? खैर झिझकते हुए मै उसके साथ चल पड़ा। उसके छाते ने बाहर हो रही बारिश से तो मुझे बचा लिया था। लेकिन उसके बालों की खुशबू और उसकी प्यारी मुस्कान से मैं खुद को भीगने से बचा नहीं पाया था।

उस रोज़ बारिश से बचने के लिए छाता ही नहीं मिला। बल्कि एक अनजानें शहर में तन्हाई बाँटनें वाला दोस्त भी मिल गया था। आज दिवाली की सफाई के दौरान तुम्हारा तोहफे में दिया वो छाता दिखा और बरबस तुम्हारी याद आ गई। तुम्हारा नंबर नहीं है मेरे पास पर हर रोज़ Facebook से Tinder तक तुम्हे ढूंढा करता हूँ। इस आस में की कहीं तो मिलोगी तुम अपने उस रंगीन छाते वाले फोटो के साथ।
P.S-Google

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