मदर्स डे
पिछली रात टीवी देखते हुए पड़ोस वाली चाची को भी पता चल गया था कि कल मदर्स डे है। सो आज सुबह से ही चाची फ़ोन को हाथ में धरे बइठी हुई है। सालों पहले उनका एकलौता बेटा अपने बीबी बच्चों के साथ घर छोड़कर शहर चला गया था। वजह कोई खास न थी, वही शादी के बाद सास बहू की रोज़ाना तक़रार और उस रोज़ तो बात इतनी बढ़ गयी की चाची को अपना चूल्हा तक अलग करना पड़ा।
घटना के कुछ दिनों बाद नवरात्र शुरू हो गया, भईया और भाभी सुबह से ही माता की आराधना में लगे हुए थे। एक तरफ माता को फल और मेवें के भोग लगाएं जा रहे थें तो वहीं दूसरी तरफ उनके बच्चें भूख से तड़प रहे थे। चाची से देखा ना गया, वो तुरंत अपने रसोई में गई और झटपट में बच्चों के लिए खीर बनाकर दे दिया। बच्चों ने खीर खाना शुरू ही किया था कि अंदर से पूजा समाप्त कर भाभी बच्चों को ढूंढती हुई बाहर निकली। बरामदे पर बच्चों को दादी से हँसी ठिठोली करते हुए खीर खाता देख गुस्से में भाभी नें बच्चों को पीटना शुरू कर दिया और बाद में घंटों सास बहू की तक़रार चलती रही।
अंततः उस रोज़ माँ की ममता एक बार फिर से हार गई और चाची के लाख मिन्नतें करने के बावजूद भईया भाभी बच्चें समेत घर छोड़कर चले गए। तब से ना कोई फोन ना कोई संदेशा। चाची हर साल की तरह आज भी फ़ोन को हाथों में लिए बेटे के फोन का इंतज़ार कर रही है। भईया भाभी के चले जाने के बाद चाची नें मुझे अपने बेटे की तरह ही पाला है। जब इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले के लिए मेरे अब्बू के पास पैसे कम पड़ रहे थे तब चाची ने अपनी ज़मीन का एक टुकड़ा बेचकर मुझे दाखिला दिलवाया था।
इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले के कुछ महीनें बाद मेरे अब्बू का इंतकाल हो गया। तब चाची नें ही हौसला दिया और समय समय पर लाड़, प्यार और पैसों से मदद भी की। कुछ दिन पहले ही मेरी प्लेसमेंट किसी बड़े मल्टीनेशनल कंपनी में हुई सोचा घर जाकर चाची को खुशखबरी दे दूं। कल सुबह जब घर पहुँचा और चाची को खुशखबरी दी तो खुशी के मारे चाची नें पूरे गाँव में मिठाई बटवां दी। कल का दिन हँसी खुशी बिता पर आज सुबह से ही चाची आँखों में समंदर कैद किए हाथों में फ़ोन लिए उदास बैठी है। तभी ख्याल आया की पूरी दुनिया तो फेसबुक पर है क्यों ना एकबार भईया को फेसबुक पर ढूंढा जाएं। फेसबुक पर काफी खोजबीन के बाद भईया मिल गए। उनका प्रोफाइल खोला तो देखा पिछले कई सालों से भईया नें कोई पोस्ट ही नहीं किया है। बहुत ढूंढने के बाद भईया की एक तस्वीर को देखकर रुक गया जिसमें भईया नें भाभी को टैग किया था।
अब तक मैं भाभी के प्रोफ़ाइल पर आ चुका था। भाभी से भईया के बारे में पूछूं या ना पूछूं, काफी सोच विचारकर मैनें भाभी को अपना परिचय देते हुए मैसेज किया और उनलोगों का पता माँगा। भाभी नें जो बताया वो सुनकर मेरे होश उड़ गए। 5 साल पहले भईया ऑफिस के काम से विदेश गए थे। वहीं दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गयी।"इतना सब कुछ हो गया और आपनें हमलोगों को ख़बर तक ना दी।" भाभी के पास मेरे सवालों का जवाब तो नहीं था बस खुद को कोसते हुए इतना ही कह सकी थी कि किस मुँह से ख़बर देती और क्या ख़बर देती। आख़िर मैं ही तो जिम्मेदार थी इन सबकी, मेरी वजह से ही उन्होनें घर छोड़ा, सालों तक मेरी खुशी के खातिर माँ से संबंध ना रखा और जब संबंध बनाने की दोबारा कोशिश भी करती तो ये कह के की आपका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा।
मैं भी खुद एक माँ हूँ समझती हूँ बेटे से बिछड़ने का ग़म। आज कम से कम माँ जी को इतना तो भरोसा है ना कि उनका बेटा जहाँ भी होगा खुश होगा, अच्छे से होगा। भले ही वो थोड़ा उदास रहती होंगी की उनका बेटा उन्हें याद नहीं करता। लेकिन जिस दिन उन्हें ये पता चल जाता कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा तब तो वो जीते जी मर जाती। भाभी को दोषी मानते मानते मेरी नज़र में भाभी की इज़्जत कब बढ़ गयी पता ही न चला। बस उसी क्षण मैनें सोच लिया की माँ जिनको मैं बचपन से चाची बोलता आया हूँ वो अब यहाँ गाँव में अकेले नहीं बल्कि मेरे साथ रहेगी, जहाँ मैं रहूंगा।
पहले तो माँ ने बहुत इंकार किया कि अब मेरी उम्र हो गयी है मैं कहाँ जाऊंगी लेकीन मेरे मान मनौवल के बाद वो मेरे साथ चलने को तैयार हो गयी। अगली सुबह हमारी ट्रेन थी हमदोनों माँ बेटे उस दिन के बाद से साथ ही रहने लगे। इन सबके बीच मैं समय-समय पर भाभी और उनके बच्चों से मिलने जाता रहता हूं, उनकी पढ़ाई लिखाई का खर्च भी मेरे जिम्में है। आखिर मैं भी तो उनका भाई हूँ और उनके बच्चें मेरे बच्चें।
माँ की आंखों में अब भी कभी कभी गीली हो जाती है लेकिन मैं और मेरी बीबी उन्हें खुश रखने की पूरी कोशिश करते है। मेरे बेटे को वो दादी की तरह ही प्यार करती है।
#mothers_day
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