अपना पराया
कुमार मौसम,
अपनी मंज़िल अलग, अपने रास्ते अलग।
जिसे देखो वही दिखाता है सपने अलग।
निकले थे खुशियों की तलाश में,
मिल गए ग़म तो क्या मतलब।
जोश है, जज्बा है, जूनून है,
तो डर कैसा गर मिल गए ग़म।
मंज़िल तो मिलनी ही है,एक दिन,
तो खुशियाँ भी मिल जायेगी एक दिन।
कोई दोस्त नहीं कोई साथी नहीं,
कोई अपना नहीं कोई पराया नहीं,
अपनी मंज़िल अलग अपने रास्ते अलग।
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