Happy Rose Day
कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका था। दो दिनों में गौरव को कंपनी का दिया हुआ फ्लैट भी खाली करना था। सो सुबह से ही गौरव समान की पैकिंग करने में जुटा हुआ था।
फ्लैट में ज्यादा सामान नहीं था। कुछ जोड़े कपड़े थे, कुछ कहानियाँ और उपन्यास की किताबें, दो-चार डायरियाँ जिनमें तन्हाइयों का पूरा हिसाब-किताब था। कुछ तोहफें भी थे, जिसे कंपनी ने गौरव को एम्प्लॉय ऑफ द ईयर के नाम पर दिया था। बाकी का सारा फर्नीचर TV, फ्रिज, AC सोफा सब कंपनी का ही था।
सामान तो ज्यादा नहीं थे,पर फिर भी उनकी पैकिंग में वक़्त लग रहा था। क्योंकि अक्सर पता बदलते वक़्त हम अपना सामान तो बाँध लेते हैं। पर वहां की यादें उस कमरे में आने वाले नए किरायेदार के लिए की जाने वाली दीवारों की पुताई के नीचे दबकर वहीं कैद रह जाती हैं। हाँ उन यादों की धुंधली छाप हमारी स्मृतियों पर भी पड़ती है, जो कभी-कभी हमें अपने पुराने दिनों में खींचकर ले जाया करती है।
किताबों को कार्टून में डालते हुए गौरव की नज़र अचानक एक फटी-पुरानी डायरी पर पड़ी। जिसकी बाइंडिंग खुल चुकी थी, कुछ पन्ने भी मुड़ गए थे और कुछ तो डायरी से अलग होने के कगार पर थे। गौरव ने डायरी उठाई और सोफे पर बैठकर सीधा करता हुआ एक-एक पन्ना पलटने लगा। तभी सामने की खिड़की से हवा का एक तेज़ झोंका आया और उसमें रखे गुलाब के फूल को उड़ा ले गया।
गौरव एक नज़र उस सूखे गुलाब पर और एक नज़र डायरी के उस पन्ने पर जहाँ वो फूल रखा हुआ था बारी-बारी से देख रहा था।
इस डायरी को और उसमें रखे उस सूखे गुलाब के फूल को गौरव ने पिछले 8 सालों से अपने पास रखा हुआ था। 2 साल पहले वंदना से ब्रेकअप के बाद गौरव ने इस डायरी को छोड़कर वंदना से जुड़ी सारी चीजों को अपने से दूर कर दिया था। इसलिए नहीं कि वो वंदना से ख़फ़ा था, बल्कि इसलिए की वो सारी चीजें गौरव को रह-रहकर वंदना की याद दिलाते थे।
वो पुरानी डायरी और उसमें रखे गुलाब जिसकी पंखुड़ियाँ फर्श से टकराते ही अब एक-दूसरे से अलग हो गए थे। लेकिन सालों तक एक ही जगह रखे उस गुलाब के रंग को उसके सुगंध को डायरी ने आत्मसात कर लिया था। जिसे डायरी के सफेद पन्नों पर गुलाब की आवृत्ति के रूप में साफ देखा जा सकता था।
कुछ ऐसा ही तो इंसानों के साथ भी होता है। सालों तक साथ रहने के बाद भले ही गलतफहमियों का तूफान उन्हें अलग कर दें। लेकिन अलग हो चुके इंसान की आवृति एक-दूसरे के अंदर हमेशा-हमेशा के लिए रह जाती है। जिसे चाहे हम जितना भी मिटाने की कोशिश कर ले पर एक अमिट छाप के रूप में ये हमारे पास समय-समय पर उनकी कुछ आदतें कुछ बातें यादों के रूप में हमेशा रहती है।
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